मज़ा सुनकर ही आएगा, पढ़ नहीं... शब्दों से सुर-ताल का मेल जरूरी है।
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जिंदुआ ते रस बिंदुआ (2)
दोवें सके भरा
जिंदुए संग जिंद मेरीए लै लैण मिला (2)
होगी ला ला, सारे घर विच्च, सारे दर विच्च, घर-घर विच्च।
............. हो वे जेहड़ी दिलां नूं लाई आ (2)
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चल जिंदुआ वे चल चल्लीए बज़ारीं जित्थे ने विकदे रुमाल
हाड़ा वे जिंदुआ बुरे विछोड़े लै चल अपने नाल (2)
वे चल चंडीगढ़, चल दिल्ली शहर..(2).
............. हो वे जेहड़ी दिलां नूं लाई आ (2)
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चल जिंदुआ वे चल चल्लीए पहाड़ी, जित्थे ने विकदे अनार (2)
तूं तोड़ी मैं वेचण वाली, इक रुपइए चार
वे गोरे रंग दी मैं, लाली रंग दी मैं (2)
रब्ब तो रंगवाई आ ओ जिंदुआ
............. हो वे जेहड़ी दिलां नूं लाई आ (2)
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इक जिंदुआ वे तेरे नैण बिल्लौरी, विच्च सुरमे दी धारी
सुरमे वाले नैणा ने मेरे दिल ते बरछी मारी (2)
वे कुझ कह गया, जिंद लै गया (2)
वे जिंद मार मुकाई आ, ओ जिंदुआ
वे जेहड़ी दिलां नूं लाई आ हाड़ा वे जेहड़ी दिलां नूं लाई आ...
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चल जिंदुआ वे चल मेले चल्लीए चल्लीए शौकीनी ला
कन्न विच्च मुंदरां सिर ते शमला गल विच्च कैंठा पा (2)
बड़ी फबदी ए, सोहणी लगदी ए (2)
वे जेहड़ी जैकट पाई आ ओ जिंदुआ,
वे दस दस कित्थों सवाई आ, ओ जिंदुआ
वे दस किन्ने दी आई आ, ओ जिंदुआ।
जिंदुआ ते रस बिंदुआ...
यहां सुनें जिंदुआ