प्रेमिकाएं /आंखों में नहीं /दिल में छुपाकर रखती हैं स्वप्न...
ग्रीक सुंदरी कालिप्सो के बारे मे ज्यादा जानकारी नहीं मिलती। यह ग्रीक नवयौवना रूसी शायर पुश्किन को अथाह प्रेम करती थी। रोमानिया के एक इलाके में ग्रीक रहते थे, जहां 1832 में तुर्की हाकिमों के खिलाफ बगावत हुई थी और कालिप्सो बग़ावतियों के साथ मिलकर लड़ी थी। पर जब बग़ावती लोगों को रूस के दक्षिण में पनाह लेनी पड़ी, तो वहां कालप्सो की पुश्किन से मुलाकात हुई थी।
वहां पुश्किन के प्रेम में जब इस ग्रीक सुंदरी का दिल टूट गया, तो वह रोमानिया लौट आई, पर दुनिया से वैरागी हो चुकी कालिप्सो की दुनिया में कोई दिलचस्पी नहीं थी। निराशा ने उसे तन और मन से त्यागी बना दिया था।
उन दिनों गिरजाघरों में औरत का प्रवेश वर्जित था, इसलिए कालिप्सो ने पुरुष के वेश में गिरजाघर में पनाह ले ली। कई साल वे गिरजे में फकीरी वेश में रही, केवल 1940 में उसकी मौत के बाद पता चला कि वो औरत थी... अमृता प्रीतम ने अपनी एक किताब में इसका जिक्र किया है।
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