महात्मा गांधी और सरला देवी
यह कहानी तो कुछ-कुछ यश चोपड़ा की फिल्म 'कभी कभी' जैसी है। सरला देवी रविंद्र नाथ ठाकुर की भतीजी थीं। उनके पति चौधरी रामभज दत्त आर्य समाज और कांग्रेस में अच्छी पैठ रखते थे। वह जब जेल में थे तो गांधी जी उनकी पत्नी के मेहमान थे, उनके घर में। चार बच्चों के पिता 50 वर्षीय गांधी खूबसूरत सरला देवी पर ऐसे मोहित हुए कि उनका अपना परिवार और राजनीतिक जीवन तक खतरे में आ गया। गांधी जी के पोते के मुताबिक दोनों ओर से मोहब्बत की शिद्दत बराबर थी। गांधी जी ने तो कहा था कि सरला के साथ उनका 'अध्यात्मिक विवाह' हो चुका है। लेकिन दोनों ने ही अपनी आत्मकथा में इस प्रसंग का जिक्र नहीं किया है। आखिर इस प्रेम की परिणति 'कभी कभी' की तरह हुई। सरला के बेटे दीपक चौधरी ने गांधी जी की बेटी से विवाह कर लिया।
यह कहानी तो कुछ-कुछ यश चोपड़ा की फिल्म 'कभी कभी' जैसी है। सरला देवी रविंद्र नाथ ठाकुर की भतीजी थीं। उनके पति चौधरी रामभज दत्त आर्य समाज और कांग्रेस में अच्छी पैठ रखते थे। वह जब जेल में थे तो गांधी जी उनकी पत्नी के मेहमान थे, उनके घर में। चार बच्चों के पिता 50 वर्षीय गांधी खूबसूरत सरला देवी पर ऐसे मोहित हुए कि उनका अपना परिवार और राजनीतिक जीवन तक खतरे में आ गया। गांधी जी के पोते के मुताबिक दोनों ओर से मोहब्बत की शिद्दत बराबर थी। गांधी जी ने तो कहा था कि सरला के साथ उनका 'अध्यात्मिक विवाह' हो चुका है। लेकिन दोनों ने ही अपनी आत्मकथा में इस प्रसंग का जिक्र नहीं किया है। आखिर इस प्रेम की परिणति 'कभी कभी' की तरह हुई। सरला के बेटे दीपक चौधरी ने गांधी जी की बेटी से विवाह कर लिया।
जवाहर लाल नेहरू और लेडीमाउंटबेटन
लोग कहते हैं इस लव स्टोरी ने भारत के इतिहास को प्रभावित किया है। लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी एक किताब में लिखा है कि दोनों के बीच रुहानी संबंध था। साथ ही वह यह भी कहती हैं कि कई बार मेरी मौजूदगी उन दोनों के लिए असहजता की स्थिति पैदा कर देती थी। दोनों घंटों तक कमरे में अकेले रहते थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे। लेकिन यह साबित कोई नहीं कर पाया कि दोनों में शारीरिक संबंध थे। वैसे कुछ चीजें साबित करने के लिए नहीं होती।
सुभाष चंद्र बोस और एमिली
हाल ही में श्याम बेनेगल ने नेता जी पर फिल्म बनाई तो मुद्दा खड़ा हो गया उनकी शादी का। उससे पहले बहुत कम लोग जानते थे कि नेता जी की शादी हो गई थी। अजीब प्रेम कहानी थी यह भी। एमिली नेता जी की सेक्रेटेरियल असिस्टेंट के रूप में काम करती थीं। उन्हें जर्मन सरकार ने नेता जी पर नजर रखने का हुक्म दिया। इससे नेता जी को चाहने वाली एमिली के सामने नैतिक सवाल खड़ा हो गया। और इसका हल भी उन्होंने खोज लिया, नेता जी से शादी। जर्मन कानून के मुताबिक पत्नी की गवाही मायने नहीं रखती। नेता जी को उनसे एक बेटी भी मिली। इस तरह एक और प्रेम कहानी अमर हो गई।
हाल ही में श्याम बेनेगल ने नेता जी पर फिल्म बनाई तो मुद्दा खड़ा हो गया उनकी शादी का। उससे पहले बहुत कम लोग जानते थे कि नेता जी की शादी हो गई थी। अजीब प्रेम कहानी थी यह भी। एमिली नेता जी की सेक्रेटेरियल असिस्टेंट के रूप में काम करती थीं। उन्हें जर्मन सरकार ने नेता जी पर नजर रखने का हुक्म दिया। इससे नेता जी को चाहने वाली एमिली के सामने नैतिक सवाल खड़ा हो गया। और इसका हल भी उन्होंने खोज लिया, नेता जी से शादी। जर्मन कानून के मुताबिक पत्नी की गवाही मायने नहीं रखती। नेता जी को उनसे एक बेटी भी मिली। इस तरह एक और प्रेम कहानी अमर हो गई।
अडॉल्फ हिटलर और इवा ब्राउन
इतिहास के सबसे बड़े और क्रूर तानाशाह की प्रेमिका होना कोई आसान बात नही। इवा के लिए भी यह आसान नहीं था। एक अमीर बाप की बेटी इवा ब्राउन उस शख्स के प्यार में उस कदर पागल थीं कि उसने कुछ नहीं चाहा। हिटलर ने कभी इवा को सम्मान नहीं दिया, हक नहीं दिया। वह उनके लिए सिर्फ एक इस्तेमाल की चीज बनी रही। लेकिन इवा ने कभी हिटलर को नहीं छोड़ा। साये की तरह वह दीवानी हिटलर का साथ देती रही। और कहते हैं कि जब रूसी फौजें बर्लिन में घुसीं, तो इवा और हिटलर ने एक दूसरे के सामने आत्महत्या कर ली। उफ्फ..क्या लव स्टोरी है।
इतिहास के सबसे बड़े और क्रूर तानाशाह की प्रेमिका होना कोई आसान बात नही। इवा के लिए भी यह आसान नहीं था। एक अमीर बाप की बेटी इवा ब्राउन उस शख्स के प्यार में उस कदर पागल थीं कि उसने कुछ नहीं चाहा। हिटलर ने कभी इवा को सम्मान नहीं दिया, हक नहीं दिया। वह उनके लिए सिर्फ एक इस्तेमाल की चीज बनी रही। लेकिन इवा ने कभी हिटलर को नहीं छोड़ा। साये की तरह वह दीवानी हिटलर का साथ देती रही। और कहते हैं कि जब रूसी फौजें बर्लिन में घुसीं, तो इवा और हिटलर ने एक दूसरे के सामने आत्महत्या कर ली। उफ्फ..क्या लव स्टोरी है।
राजीव और सोनिया गांधी
मोहब्बत कैसे जिंदगी बदल देती है, इसकी कहानी है राजीव और सोनिया की लव स्टोरी। राजीव लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनटी कॉलेज में पढ़ने गए थे। उसी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लैग्वेजेज में इटली की एक लड़की पढ़ रही थी। गरीब घर की वह लड़की पढ़ने के लिए पैसे जुटाने के वास्ते एक रेस्ट्रॉन्ट में काम करती थी। राजीव को वह लड़की बहुत पसंद थी। बस, धीरे-धीरे जवां दिल एक-दूजे के हो गए। कैथलिक सोनिया के मां-बाप ने इस रिश्ते का जमकर विरोध किया, तो सोनिया अपनी दुनिया छोड़कर एक नई दुनिया में चली आई अपने महबूब के साथ। फिर उसने देखा राजनीति के नाम होने वाली हत्याओं का खेल। बताते हैं कि सोनिया कभी राजीव को अकेले कहीं नहीं जाने देती थीं। एक बार वह अकेले श्रीलंका चले गए तो उनपर हमला भी हो गया था। एक बार फिर राजीव अकेले चले गए एक रैली में। और फिर लौटकर नहीं आए। सोनिया आज भी वे जिम्मेदारियां निभा रही हैं, जो उनकी मोहब्बत के नाम पर उन्हें मिली हैं।
प्रिंस एडवर्ड और वैलिसा सिंपसन
इश्क के लिए तख्त-ओ-ताज न्योछावर कर देने की मिसाल शायद यहीं से पैदा हुई होगी। प्रिंस यूं तो बांके जवान थे लेकिन शादीशुदा महिलाओं में उनकी खास दिलचस्पी थी। इस दिलचस्पी ने कई कहानियां बनाई। और इसी दिलचस्पी ने उन्हें एक दिन अमेरिका की एक गरीब सी महिला वैलिसा के सामने ला खड़ा किया। दोनों मिले। फिर मिले। बार-बार मिले। और पता नहीं कब प्यार हो गया। प्रिंस एडवर्ड तब ताज संभालने की भी तैयारी कर रहे थे। दोनों के किस्से चर्चित हो गए। सिंपसन ने अपने दूसरे पति को भी तलाक दे दिया। लेकिन यह साफ हो गया कि ब्रिटेन वैलिसा को रानी के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। एडवर्ड को मोहब्बत और ताज में से एक चुनना था। उन्होंने मोहब्बत चुनी। कितने ही लोगों को उससे पहले और उसके बाद ताज मिला, किसे याद है। हां, एडवर्ड बहुत से लोगों को याद हैं।
प्रिंस चार्ल्स और कैमिला पार्कर
1970 में एक पोलो मैच में कैमिला और प्रिंस चार्ल्स मिले। कुछ दिन दिल धड़कते रहे और फिर 1972 में जुदा हो गए। प्रिंस ने नेवी जॉइन कर ली और कैमिला ने शादी कर ली। 1981 में प्रिंस की भी शादी हो गई, लेकिन पार्कर से उनका संपर्क बना रहा। 1994 में प्रिंस ने कहा कि अब भी उनके कैमिला से रिश्ते हैं। इससे दोनों शादियां बर्बाद हो गईं। सात महीने बाद ही कैमिला का तलाक हो गया। अगस्त 1996 में प्रिंस और डायना भी अलग हो गए। और 1997 में डायना चल बसीं। आखिरकार 2005 में दो प्रेमी मिल ही गए। 25 साल बाद मोहब्बत अपने अंजाम पर थी।
मोहब्बत कैसे जिंदगी बदल देती है, इसकी कहानी है राजीव और सोनिया की लव स्टोरी। राजीव लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनटी कॉलेज में पढ़ने गए थे। उसी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लैग्वेजेज में इटली की एक लड़की पढ़ रही थी। गरीब घर की वह लड़की पढ़ने के लिए पैसे जुटाने के वास्ते एक रेस्ट्रॉन्ट में काम करती थी। राजीव को वह लड़की बहुत पसंद थी। बस, धीरे-धीरे जवां दिल एक-दूजे के हो गए। कैथलिक सोनिया के मां-बाप ने इस रिश्ते का जमकर विरोध किया, तो सोनिया अपनी दुनिया छोड़कर एक नई दुनिया में चली आई अपने महबूब के साथ। फिर उसने देखा राजनीति के नाम होने वाली हत्याओं का खेल। बताते हैं कि सोनिया कभी राजीव को अकेले कहीं नहीं जाने देती थीं। एक बार वह अकेले श्रीलंका चले गए तो उनपर हमला भी हो गया था। एक बार फिर राजीव अकेले चले गए एक रैली में। और फिर लौटकर नहीं आए। सोनिया आज भी वे जिम्मेदारियां निभा रही हैं, जो उनकी मोहब्बत के नाम पर उन्हें मिली हैं।
प्रिंस एडवर्ड और वैलिसा सिंपसन
इश्क के लिए तख्त-ओ-ताज न्योछावर कर देने की मिसाल शायद यहीं से पैदा हुई होगी। प्रिंस यूं तो बांके जवान थे लेकिन शादीशुदा महिलाओं में उनकी खास दिलचस्पी थी। इस दिलचस्पी ने कई कहानियां बनाई। और इसी दिलचस्पी ने उन्हें एक दिन अमेरिका की एक गरीब सी महिला वैलिसा के सामने ला खड़ा किया। दोनों मिले। फिर मिले। बार-बार मिले। और पता नहीं कब प्यार हो गया। प्रिंस एडवर्ड तब ताज संभालने की भी तैयारी कर रहे थे। दोनों के किस्से चर्चित हो गए। सिंपसन ने अपने दूसरे पति को भी तलाक दे दिया। लेकिन यह साफ हो गया कि ब्रिटेन वैलिसा को रानी के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। एडवर्ड को मोहब्बत और ताज में से एक चुनना था। उन्होंने मोहब्बत चुनी। कितने ही लोगों को उससे पहले और उसके बाद ताज मिला, किसे याद है। हां, एडवर्ड बहुत से लोगों को याद हैं।
प्रिंस चार्ल्स और कैमिला पार्कर
1970 में एक पोलो मैच में कैमिला और प्रिंस चार्ल्स मिले। कुछ दिन दिल धड़कते रहे और फिर 1972 में जुदा हो गए। प्रिंस ने नेवी जॉइन कर ली और कैमिला ने शादी कर ली। 1981 में प्रिंस की भी शादी हो गई, लेकिन पार्कर से उनका संपर्क बना रहा। 1994 में प्रिंस ने कहा कि अब भी उनके कैमिला से रिश्ते हैं। इससे दोनों शादियां बर्बाद हो गईं। सात महीने बाद ही कैमिला का तलाक हो गया। अगस्त 1996 में प्रिंस और डायना भी अलग हो गए। और 1997 में डायना चल बसीं। आखिरकार 2005 में दो प्रेमी मिल ही गए। 25 साल बाद मोहब्बत अपने अंजाम पर थी।
नैपोलियन और जोसेफिन
नैपोलियन के एक अफसर बरास की पत्नी थी रोज। नैपोलियन तब पत्नी की खोज में था और बरास रोज से छुटकारा चाहता था। उसने रोज को नेपोलियन की तारीफ करने और उसके साथ रहने को कहा। रोज की थोड़ी सी लुभावनी बातों से नैपोलियन पिघल गया। उसे प्यार हो गया। बरास ने रोज को कहा कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा तो तुम सड़क पर आ जाओगी, इसलिए नैपोलियन से शादी कर लो। मजबूरी में रोज ने नैपोलियन से शादी कर ली। नैपोलियन ने ही उसे जोसेफिन नाम दिया। लेकिन जोसेफिन तो नैपोलियन को नहीं चाहती थी। जब नैपोलियन लड़ाई के लिए इटली गया तो वह फ्रांस में ही रह गई। पीछे से उसने अपनी अय्याशियां शुरी कर दी। नैपोलियन ने उसे कई बार अपने पास बुलाया, लेकिन वह रोज नए बहाने बना देती। उसने यहां तक कह दिया कि मैं प्रेग्नेंट हूं इसलिए नहीं आ सकती। जब बरास को लगा कि नैपोलियन इसके चक्कर में लड़ाई छोड़कर ना आ जाए तो उसने जबर्दस्ती जोसेफिन को इटली भेजा। जोसेफिन ने नैपोलियन से कहा कि रास्ते में उसका गर्भ गिर गया। नैपोलियन फूट-फूट कर रोया। कुछ दिन बाद नई लड़ाई के लिए वह फिर फ्रांस से बाहर चला गया और जोसेफिन की अय्याशियां शुरू हो गई। और जो होना था, एक दिन नैपोलियन को पता चल गया। वह फ्रांस लौटा। उसने कहा कि तुमने मेरा दिल तोड़ा है। अब मैं किसी से कभी प्यार नहीं कर पाऊंगा। जोसेफिन शर्म से पानी-पानी हो गई। उसके बाद जिंदगी पलट गई। ताउम्र जोसेफिन नैपोलियन के प्यार में मरती रही और नैपोलियन अय्याश हो गया। आखिर तक उसने जोसेफिन को माफ नहीं किया।
नैपोलियन के एक अफसर बरास की पत्नी थी रोज। नैपोलियन तब पत्नी की खोज में था और बरास रोज से छुटकारा चाहता था। उसने रोज को नेपोलियन की तारीफ करने और उसके साथ रहने को कहा। रोज की थोड़ी सी लुभावनी बातों से नैपोलियन पिघल गया। उसे प्यार हो गया। बरास ने रोज को कहा कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा तो तुम सड़क पर आ जाओगी, इसलिए नैपोलियन से शादी कर लो। मजबूरी में रोज ने नैपोलियन से शादी कर ली। नैपोलियन ने ही उसे जोसेफिन नाम दिया। लेकिन जोसेफिन तो नैपोलियन को नहीं चाहती थी। जब नैपोलियन लड़ाई के लिए इटली गया तो वह फ्रांस में ही रह गई। पीछे से उसने अपनी अय्याशियां शुरी कर दी। नैपोलियन ने उसे कई बार अपने पास बुलाया, लेकिन वह रोज नए बहाने बना देती। उसने यहां तक कह दिया कि मैं प्रेग्नेंट हूं इसलिए नहीं आ सकती। जब बरास को लगा कि नैपोलियन इसके चक्कर में लड़ाई छोड़कर ना आ जाए तो उसने जबर्दस्ती जोसेफिन को इटली भेजा। जोसेफिन ने नैपोलियन से कहा कि रास्ते में उसका गर्भ गिर गया। नैपोलियन फूट-फूट कर रोया। कुछ दिन बाद नई लड़ाई के लिए वह फिर फ्रांस से बाहर चला गया और जोसेफिन की अय्याशियां शुरू हो गई। और जो होना था, एक दिन नैपोलियन को पता चल गया। वह फ्रांस लौटा। उसने कहा कि तुमने मेरा दिल तोड़ा है। अब मैं किसी से कभी प्यार नहीं कर पाऊंगा। जोसेफिन शर्म से पानी-पानी हो गई। उसके बाद जिंदगी पलट गई। ताउम्र जोसेफिन नैपोलियन के प्यार में मरती रही और नैपोलियन अय्याश हो गया। आखिर तक उसने जोसेफिन को माफ नहीं किया।
एंटनी और क्लियोपेट्रा
क्लियोपेट्रा रोम के सम्राट जूलियस सीजर की रखैल थी। बताते हैं कि इतिहास की सबसे मशहूर औरतों में से एक क्लियो मैथ्स की विद्वान थी और 9 भाषाएं जानती थी। उसकी इंटेलिजेंस और नॉलेज का सीजर भी कायल था। वही क्लियोपेट्रा सीजर एक दोस्त एंटनी को दिल दे बैठी। दोनों एक-दूसरे के दीवाने हो गए थे। लेकिन राजनीति को यह मोहब्बत मंजूर नहीं थी। मिस्र की बढ़ती ताकत से परेशान रोम के लोग मिस्र की एक औरत को एंटनी की पत्नी बनते नहीं देखना चाहते थे। इसलिए साजिश रची गई। एंटनी को लड़ाई के दौरान झूठी खबर दी गई कि क्लियोपेट्रा नहीं रही। खबर सुनते ही एंटनी सदमे में आ गया और अपनी तलवार पर गिरकर मर गया। यह खबर जब क्लियोपेट्रा को मिली, तो उसने खुद को एक जहरीले सांप के आगे डाल दिया। सांप के जहर से फौरन उसकी मौत हो गई। मोहब्बत करने वाले शहीद हो गए, मोहब्बत आज भी जिंदा है।
शाहजहां और मुमताज
सन 1612 में 15 साल के मुगल शहजादे ने एक और शादी की। लड़की थी अर्जुमंद बानो। यूं तो उसके बाद भी शहजादे ने कई शादियां कीं, लेकिन बानो में कुछ ऐसा था कि शहजादा उसका दीवाना था। उसने बानो को नाम दिया था। मुमताज। 1629 में मुमताज की बच्चे को जन्म देते हुए मौत हो गई। उससे पहले वह 14 बच्चों को जन्म दे चुकी थीं। मुमताज की मौत ने शाहजहां को हिलाकर रख दिया। उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया। कई दिन बाद जब बादशाह बाहर निकला, तो वह बूढ़ा हो चुका था। उसके बाद उसके सिर पर बस मुमताज को अमर कर देने की धुन सवार हो गई। उसने दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत बनाने का हुक्म जारी कर दिया। 20 हजार लोग और एक हजार हाथी 20 साल तक लगातार काम करते रहे और तब जाकर वह इमारत खड़ी हुई, जिसे लोग ताजमहल कहते हैं। फिर शाहजहां भी चल बसा। मोहब्बत अमर हो गई
1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया पोस्ट.....
बड़े सारांश में आपने प्रेमकहानियों को एक पोस्ट में संजोया......
बहुत अच्छा लगा पढ़ना...
आभार
अनु
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